Monday, 23 October 2017

भित्ति पत्रिका 'पारमिता' का पहला अंक - सं. अनीश कुमार


               सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय, बरला, रायसेन, मध्य प्रदेश के हिन्दी विभाग द्वारा मासिक भित्ति (दीवार) पत्रिका का सम्पादन किया जाता है । इसके पहले अंक का सम्पादन हिन्दी विभाग के पी-एच.डी. शोधार्थी अनीश कुमार के द्वारा किया गया । इसका लोकार्पण हिन्दी दिवस 14 सितंबर 2017 को सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री नवल शुक्ल द्वारा किया गया था । अब ये पत्रिका ब्लाग पर पढ़ी जा सकती है । सम्मानित पाठकों के सुझाव व प्रतिक्रियायें आमंत्रित हैं । - संपादक
































प्रस्तुति 
अनीश कुमार 
पी-एच.डी. शोधार्थी, हिन्दी 

Monday, 2 October 2017

हिन्दी साहित्य में थर्ड जेंडर – मासिक परिचर्चा

            सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा 29 सितंबर 2017 को द्वितीय मासिक परिचर्चा का आयोजन किया गया । इसका विषय हिन्दी साहित्य में थर्ड जेंडर रखा गया था । परिचर्चा में विभाग के अलावा अन्य विभागों के भी छात्र/छात्राएं व शोधार्थी भी भाग लेते हैं । कार्यक्रम में किन्नरों के सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, राजनैतिक, धार्मिक व वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चा कि गई । इसमें एम.फिल हिन्दी के शोधार्थी कपिल कुमार गौतम ने अपना सारगर्भित शोध-आलेख का वाचन किया । उन्होने ने किन्नरों के इतिहास को संदर्भित करते हुये उनके मिथकीय प्रयोगों को विवेचित किया । गौरतलब है कि किन्नरों का इतिहास बहुत पुराना है । महाभारत, रामायण, उपनिषदों में भी इनकी गाथाएँ देखने व सुनने को मिलती हैं । ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, हिंदू और मुसलिम शासकों द्वारा किन्नरों का इस्तेमाल खासतौर पर अंत:पुर ओर हरम में रानियों की पहरेदारी के लिए किया जाता था। इसके पीछे उनकी सोच यह थी कि रानियां पहरेदारों से अवैध संबंध स्थापित नहीं कर पाएं । उस दौर में राजाओं द्वारा काफी नौजवानों के यौनांग काटकर उन्हें हिजड़ा बना दिया जाता था । दिल्ली की सल्तनत के दौरान किन्नर महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं । 
          अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में किन्नर वरिष्ठ सैनिक अधिकारी रहे हैं । खिलजी का एक प्रमुख पदाधिकारी मलिक गफूर था, जो किन्नर था । वह खिलजी का दायां हाथ माना जाता था । उसी के प्रयासों से खिलजी ने दक्षिण भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार किया । सामाजिक संदर्भ में इन्हें बहिष्कृत कर दिया गया है । अनीश कुमार ने कहा कि हमें उनके प्रति सोच बदलने कि आवश्यकता है । जब हम किसी को प्रकृति प्रदत्त लिंग के आधार पर भेदभाव करते हैं तो निश्चय ही हम उनके मनवाधिकारों का हनन कर रहे होते हैं । किन्नरों को लेकर भारतीय समाज में भिन्न-भिन्न तरह की भ्रांतियां हैं । मिथक और इतिहास में भी इनकी खास तरह की उपस्थिति है । महाभारत का शिखंडी योद्धा था । जिसकी मदद से अर्जुन ने भीष्म पितामह का वध किया था । वह आधा औरत और आधा मर्द यानि किन्नर था । अर्जुन ने अपने अज्ञातवास का एक साल का समय भी किन्नर का रूप धारण कर वृहन्नला के नाम से बिताया था । कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में किन्नरों का उल्लेख किया है । उस समय राजाओं ने किन्नरों का अपने निजी सुरक्षाकर्मी के तौर पर तैनात किया हुआ था तथा उनका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जाता था । इस अवसर पर विभाग के पीएचडी शोधार्थी अनीश कुमार, एम.फिल. शोधार्थी दिनेश अहिरवार व अनिल अहिरवार सहित कई छात्र/छात्राएं उपस्थित थे ।
प्रस्तुति
अनीश कुमार
                                                                                                                                                पीएचडी शोध छात्र

हिन्दी विभाग में मनाया गया हिन्दी दिवस 14 सितंबर 2018

          सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा 12 से 14 सितंबर 2018 को हिन्दी दिवस दिवस के रूप में मनाया ग...