Wednesday, 20 September 2017

चेतना का स्तर स्वभाषा से ही बेहतर होगा : श्री नवल शुक्ल

भित्ति पत्रिका व ब्लाग का लोकार्पण
          हिन्दी दिवस पर मुख्य अतिथि द्वारा हिन्दी विभाग की मासिक भित्ति पत्रिका ‘पारमिता’ व ब्लाग (subishindi.blogspot.in) का भी लोकार्पण किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि व साहित्यकार नवल शुक्ल ने कहा कि जिस भाषा में चिंतन, मनन, सोच और व्यवहार हो, वही भाषा है । भाषा मनुष्य के भावों को व्यक्त करने के लिए व्यक्ति का पहली औज़ार थी । कहा कि चेतना का स्तर स्वभाषा से ही बेहतर होगा । सह प्राध्यापक डॉ. नवीन मेहता ने कहा कि लोगों को चाहिए कि वो भाषा को सीखें, समझे और भाषा के साथ स्वयं को भी उन्नत करें । लोकार्पण के बाद उन्होंने प्रतिक्रिया वाले पन्ने पर विभाग व संपादक को अपनी शुभकामनायें दी । बता दें कि पहले अंक का सम्पादन हिन्दी विभाग के पी-एच.डी. शोधार्थी अनीश कुमार ने किया है ।  

 


हिन्दी दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन
           साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय, बारला, रायसेन, मध्य प्रदेश के हिंदी विभाग द्वारा तीन दिवसीय (12 से 14 सितंबर 2017 तक) हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया । इस अवसर पर निम्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की गयी निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, स्वरचित कविता पाठ प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ । पहले दिन दो प्रतियोगिताएँ निबंध प्रतियोगिता और पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता आयोजित की गयी । निबंध प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। निबंध लेखन हेतु दो शीर्षक ‘सोशल मीडिया और हिन्दी’ और ‘जल और जीवन’ निर्धारित किए गए थे । पोस्टर प्रतियोगिता का विषय हिंदी से संबंधित स्लोगन, लेखक छायाचित्र आदि निर्धारित किया गया था । सभी प्रतियोगिताओं के लिए अधिकतम 10 अंक निर्धारित किया गया था । प्रतियोगिता के बाद परिसर में सभी पोस्टरों की प्रदर्शिनी लगाई गई । 
         दूसरे दिन भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इसकी समय सीमा 5 मिनट रखी गई थी । इसका विषय “हिन्दी और राष्ट्र” था । सभी ने पूरे उत्साह के साथ भाषण दिये । तीसरे दिन स्वरचित कवितापाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । सभी प्रतियोगिताओं के परिणाम की घोषणा समारोह के अंतिम दिन 14 सितंबर 2017 को की गयी। निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान योग विभाग के शोधार्थी उमाशंकर कौशिक, द्वितीय स्थान बौद्ध विभाग के एम.ए. के छात्रा सोनाली बारमाटे और तृतीय स्थान संस्कृत विभाग के एम.ए. के छात्र गौतम आर्य को मिला । पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार भारत जैन, द्वितीय पुरस्कार प्रतीक सागर, तृतीय पुरस्कार तिलक गायन को मिला । 
        भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार गौतम आर्य, द्वितीय पुरस्कार शुभम महेश गजभिए व तृतीय पुरस्कार अशोक कुमार सखवार को मिला । कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार स्नेहलता मिश्रा, द्वितीय पुरस्कार भारत जैन व तृतीय पुरस्कार सुनीता गुरुङ को मिला । सभी विजेताओं को मुख्य अतिथि श्री नवल मिश्र, डॉ. शुक्ला मुखर्जी, डॉ. नवीन मेहता और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राहुल सिद्धार्थ द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया। पुरस्कार के रूप में सभी को प्रमाण पत्र और हिन्दी की पुस्तकें दिये गये । कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शोधार्थियों, विद्यार्थियों समेत बड़ी संख्या में प्राध्यापक व कर्मचारी उपस्थित थे । मुख्य कार्यक्रम का संचालन विभाग प्रभारी डॉ. राहुल सिद्धार्थ व पी-एच.डी. शोधार्थी अनीश कुमार ने किया । धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नवीन मेहता ने किया ।
प्रस्तुति 
अशोक कुमार सखवार
पी-एच.डी. शोधार्थी

Friday, 15 September 2017

खड़ी बोली का उद्भव और विकास – मासिक परिचर्चा


          हिन्दी विभाग द्वारा अपने मासिक परिचर्चा के अंतर्गत आज दिनांक 31 अगस्त 2017 को पहली खुली परिचर्चा आयोजित की गई । इसका मुख्य विषय “खड़ी बोली का उद्भव और विकास” था । विषय के आधार पर उसकी उत्पत्ति व विकास के चरण, भाषिक योगदान तथा उसके वर्तमान स्वरूप पर बातचीत की गई । इसमें विभाग के शोधार्थी के अलावा विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के भी शोधार्थी व विद्यार्थी शामिल हुए । परिचर्चा पूरी तरह से खुली रखी गई थी, इसमें किसी कोई कोई समय का बंधन नहीं था । परिचर्चा के बाद सवाल जबाब का सत्र रखा गया जिसमें कई प्रश्न उभरकर सामने आए । सर्वप्रथम विभाग के एम.फिल. शोधार्थी कपिल कुमार गौतम ने अपने सारगर्भित शोध आलेख के माध्यम से विषय के सम्पूर्ण क्षेत्र को व्याख्यायित किये । कपिल ने सवाल रखा कि जिस समय खड़ी बोली अपने विकास के अवस्था में थी उस समय ब्रज व अवधि का सम्पूर्ण काव्य क्षेत्र पर अधिकार था । आखिर ऐसा क्या कारण था कि खड़ी बोली को ही राजभाषा व मातृभाषा के रूप में दर्जा दिया गया । खड़ी बोली के प्रारम्भिक चरण क्या थे । 


पीएचडी शोधार्थी रजत शर्मा ने भी अपने आलेख का वाचन किए । उन्होंने बताया कि जिस प्रकार पश्चिमी देशों में एक व्यवस्था के तहत सभी कार्य संपादित किए जाते हैं, उसी तरह के व्यवस्था परिवर्तन के गुण खड़ी बोली में भी मिलते हैं । इसी तरह सुनीता गुरुङ, दिनेश अहिरवार, शेषनाथ वर्णवाल ने अपने विचार रखे । पीएचडी शोधार्थी अशोक सखवार ने कहा कि खड़ी बोली एक सहज व सामान्य जनमानस की भाषा है तथा खड़ी बोली आज एक सम्मृद्ध व वैज्ञानिक भाषा है । इसे इसी रूप में स्वीकार करना चाहिए । अंत में विभाग के अध्यक्ष डॉ.  राहुल सिद्धार्थ ने कहा कि पंत द्वारा लिखित पल्लव की भूमिका का खड़ी बोली के योगदान में काफी योगदान है । इसे उसका घोषणा पत्र भी कहा जाता है । उन्होंने पल्लव से कुछ पक्तियों के माध्यम से खड़ी बोली के विकास यात्रा को समझाने कि कोशिश की । संविधान के अनुसूचियों को समझाया । कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन पीएचडी शोधार्थी अनीश कुमार ने किया ।
प्रस्तुति
अनीश कुमार
पीएचडी शोधार्थी, हिन्दी

हिन्दी विभाग में मनाया गया हिन्दी दिवस 14 सितंबर 2018

          सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा 12 से 14 सितंबर 2018 को हिन्दी दिवस दिवस के रूप में मनाया ग...